गली में हर रोज़ की तरह काफी चहल-पहल थी।गली के मुहाने पर 4 मोटे-मोटे लोहे के खंभे लगे हुए थे जिसके चलते बाहर से कोई भी ऑटोरिक्शा अंदर नहीं आ सकता था और गली में सिर्फ साईकल, रिक्शा और दुकानदारों/ ख़रीददार की मोटरसाइकिल ही चलती थीं।गली में आज भी तिपहिया मोटर चालित वाहन नहीं चलते थे। शोर-गुल के नाम पर दुकानों में चलने वाले गाने,लोगों का आपस मे बोलना और खाने- पीने की दुकानों से बर्तनो के आपस मे टकराने की आवाज ही आती थी।आज भी गली में कुछ ऐसा ही माहौल था।रोज़ की तरह आज की भी दिनचर्या चल रही थी।“चोर…चोर….चोर,पकड़ो उसे,अरे वो भाग जाएगा…पकड़ो उस चोर को,कोइ पकड़ो चोर को”। एक लड़का खाली देह सिर्फ एक खद्दर की पैंट पहने बड़ी तेज़ी लोगों से बचते-बचाते भाग रहा था। भागते हुए वो गली के ऐसे मोड़ पर पहुंच गया जहाँ से उसका बच पाना असंभव था। लोगों ने उसे पकड़ लिया और पीटना शुरू कर दिया। इतने में एक आदमी हांफता हुआ आया,कुछ देर सांसे लेने के बाद उसने भी उस लड़के को दो-चार हाथ जड़ दिए।” दवाइयां इधर ला,दवा कितनी महंगी है तुझे पता भी है साले!इतना बड़ा हो गया है जा कर काम ढूंढ,चोरी करता है कमीने?” लड़के ने अपनी बाईं मुट्ठी ज़ोर से बंद कर रखी थी। सब लोग उसे पीट रहे थे,पर वो सिर झुकाए मार खाता जा रहा था। लोगों ने उसे उठा कर रोड पर लिटा दिया,एक आदमी ने उसके सिर को अपने पैर से ज़मीन पर दबा रखा था, तो दूसरे ने उसकी बाईं बांह को मरोड़ हुआ था। एक और आदमी उनकी बन्द मुट्ठी खोलने की कोशिश कर रहा था, और दवा की दुकान वाला उसे गालियाँ बक रहा था।कुछ पल बाद उसके आँसू फुट पड़े और वो ज़ोर से “नहीं-नहीं” बोलते हुए रोने लगा। उसकी मुट्ठी खुल ही चुकी थी कि इतने में आवाज़ आयी,“ये क्या कर रहे हो, बस करो,बहुत हो गया” एक आदमी सबको उस लड़के के ऊपर से हटा रहा था। उस भले मानुस ने लड़के को उठाया और उसकी मुट्ठी को धीरे से खोला जिसमे दवा की सिर्फ 3 गोलियां थीं। उसने लड़के के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा,” माँ बीमार है”? लड़के ने सिसकते हुए हाँ की मुद्रा में सिर हिलाया। उस इंसान ने एक और सवाल पूछा,” तेरी माँ का नाम क्या है,और तेरे पिता कहाँ और कौन हैं,क्या वो कोई काम- धाम नहीं करते”? एक हाथ से अपने आँसू पोछते हुए लड़के ने कहा,” माँ का नाम मीना है और पिता का नाम भी मीना है”। आस- पास के लोगों ने बोला,” झूठ बकता है साला,ऐसे नहीं मानेगा,किसी के माता- पिता के एक ही नाम सुना है किसी ने,मारो साले को”। उस भले मानुस ने हाथ से इशारा कर सभी को रोका और लड़के से कहा,” सच बोल लड़के नहीं तो ये तुझे बहुत मार मारेंगे”। उत्तर देते हुए उस लड़के के दोनो आंखों से आँसू गिर रहे थे,अपने दोनों हाथ लटकाए उसने उस भले मानुस की आंखों में आंखे डाल कहा,“माँ ने मुझेे कचरे के डब्बे से उठा के पाला है,माता भी वो,पिता भी वो ही है”। उस इंसान ने बाकी के खड़े लोगों की ओर देखा,और बाकी के लोग पीछे हटते हुए एक दूसरे को देख रहे थे। वो भला मानुस उठा और दवा दुकान के मालिक को दवा के बदले 45 रुपये दिये और लड़के के एक हाथ को थामे अपनी कचौड़ी की दुकान पर लाया और ज़ोर से आवाज़ लगाई, ” बारह कचौड़ियाँ,चटनी और सब्जी पैक कर के जल्दी ला”। कुछ पल बाद दुकान वाले कि बेटी खाना पैक कर ले आयी। उस भले मानुस ने लड़के को पानी पिलाया और खाना दे कर विदा किया।दुकान वाले कि बेटी अपने पिता को गम्भीर मुद्रा में देख रही थी उसने पूछा,” और पैसे “? भले मानुस ने कहा,“हाँ उसकी माँ की दवा के पैसे दे दिये मैने”। उसकी बेटी आष्चर्यचकित मुद्रा में बोली,” क्या पैसे दे दिए,खाने के पैसे लेने के बजाए उसके दवा के पैसे भी दे दिए पिताजी आपने,इस महीने के बिजली का बिल का नोटिस आया हुआ है,और इस महीने ये पांचवीं बार आपने किसी को पैसे-रुपियों का दान दिया है,हमारा गुज़रा ऐसे कैसे चलेगा पिताजी!!” उसके पिता ने अपनो बेटी की नाक खींचते हुए कहा,” भगवान पर भरोसा रख,गुज़ारा तो क्या,ये पूरी ज़िंदगी चल जाएगी,जैसे उस लड़के की आज भगवान ने मेरे हाथों चलवाई”। तभी दुकान पर एक आदमी आया और कहा,”अरे भाई सुना है आपकी कचौड़ी बड़ी स्वदिष्ट है,एक काम करिये ये लीजिए 25 हज़ार रुपये,आज नेताजी के यहाँ पोता हुआ है,पूरे शहर के लोग आ रहे हैं। शाम 6 बजे तक 4000 प्लेट कचौड़ी भेज दीजियेगा बाकी का हिसाब कल कर लेंगे,धन्यवाद”। अपनी बेटी की ओर देखते हुए वह भला मानुस हँस पड़ा और साथ ही साथ उसकी बेटी भी मुस्कुरा उठी। इस वाकये को 20 साल गुजर गए थे। लेकिन आज भी गली वैसी की वैसी ही थी। हर रोज़ की तरह लोग अपने काम में लगे हुए थे।अब गली में थोड़ी भीड़ बढ़ गयी थी। वो भला मानुस बूढ़ा हो चला था और उसकी बेटी बड़ी हो गयी थी। लेकिन उसके दान देने की आदत अभी भी वैसी ही थी। सुबह का वक़्त था और दुकान पर एक भिखारी लंगड़ाता हुआ आया,उसे देख उस भले मानुस ने भिखारी को खाने को कुछ दे दिया,पीछे से उसकी बेटी ने मज़ाक में कहा,“आखिर कब तक ऐसे दान दीजिये पिताजी,बहुत पूण्य कमा लिया आपने”। अपनी बेटी को उत्तर देते हुए उसने कहा,” जब तक साँस चलेगी तब तक”। दोनों बाप- बेटी एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे। भले मानुस ने अपनी बेटी से कहा,“ज़रा अंदर से सने हुए आटे को जाकर ले आ”। उसकी बेटी बोली,” अभी लाती हूँ”। वह भला मानुस अपनी दुकान पर लोगों की भूख मिटाने की तैयारी करता हुआ भगवान की आरती गुनगुना रहा था, की तभी उसने सिर उठा कर सामने देखा,उसकी आंखें फ़टी रह गईं और वह ज़ोर से धम्म की आवाज़ के साथ फर्श पर गिर गया। बेटी ने बाहर आ कर देखा तो उसके पिता ज़मीन पर पड़े थे। वो बाबूजी बोल कर चिल्लाई जिसे सुन कर अगल-बगल के दुकानदार दौड़े चले आये। लोगों ने एम्बुलेन्स बुलाई और बाप-बेटी अस्पताल चले गए। वहाँ जांच में पता चला कि इस भले मानुस को ब्रेन हैमरेज हुआ है। नर्स ने आ कर इलाज,दवा और ऑपरेशन के खर्च बिल में लिख कर दे दिया जिसे देख लड़की के होश उड़ गए। बिल पर 45 लाख रुपये लिखा हुआ था। वो सिर पकड़ कर बैठ गयी और रोने लगी। वो सोच रही थी कि इतने सारे पैसे कहाँ से लाएगी। उसने आस-पड़ोस के दुकान वालो से गुहार लगाई जिन्होंने कुछ पैसों की मदद की भी लेकिन वो काफी न था। हार मान कर उसे दुकान को बेचने का सोचा। दुकान बिक गया लेकिन 40 लाख रुपये ही जमा हो पाए। लड़की ने सोच लिया की उसके पिता नहीं बचेंगे।अस्पताल जा कर वो अपने बेहोश पिता के पास बैठ यह सोच-सोच केर रो रही थी की इतने लोगों को आपने मुफ़्त में खाना खिलाया,न जाने कितनों का भला किया पर आज बेहोश लेटे हुए हो। आखिर ये सब का कोई मतलब है या नहीं,इन चीजों का क्या फायदा। कोई पूण्य -वूणय नहीं होता है,ये सब बकवास है। ये सब सोचते हुए वो अपने पिता के चरणों पर सिर रख कर रोते-रोते सो गई। रात होने वाली थी। नर्स ने उसे उठाया, वो समझ रही थी कि नर्स उसे अपने पिता को अस्पताल से ले जाने को बोलने आयी है,वो बहुत सहमी हुई थी। नर्स आयी और उसने कहा,” आप बाहर जाइये,इन्हें आपरेशन के लिए तैयार करना है”।लड़की अचम्भे में थी,वो सोच नही पा रही थी कि ये क्या हुआ,कहीं ये सपना तो नहीं,या फिर मज़ाक तो नहीं कर रहा कोई। उसने नर्स से कहा,“देखिए मज़ाक करने की कोई ज़रूरत नहीं है आपको,मैं अपने पिता को ले जा रही हूँ,इस से भी बड़े अस्प्ताल में इनका इलाज करवाऊंगी,अभी बिल पेमेंट नहीं कर सकती हूँ पर 3-4 दिन में सारा इंतज़ाम हो जाएगा”। नर्स ने कहा,” बिल तो हमारे एक डॉक्टर ने आपके नाम से भर दिया है,अब हटिये इन्हें आपरेशन थिएटर ले जाना है। वो बाहर जा कर बैठ गई और सोच में पड़ गई कि आखिर डॉक्टर ने पैसे क्यों भर दिए। नर्स स्ट्रेचर पर लड़की के पिता को ले कर जा रही थी,जिसके पीछे-पीछे लड़की भी चल पड़ी। चलते-चलते वो रो पड़ी और नर्स से कहा,“मुझे उस डॉक्टर से मिलना है”। नर्स ने कहा,“ये देखिए इन्होंने ही आपका पेमेंट किया है”। इतना बोल वो ऑपरेशन थियेटर में चली गई। डॉक्टर लड़की को देख मुस्कुरा रहा था,वह लड़की के मुखमण्डल पर प्रश्नचिन्ह को साफ-साफ देख सकता था।इस से पहले की लड़की कोई सवाल करती,डॉक्टर ने कहा,” 20 साल पहले मेरे लिए भी किसी ने 45 रुपये की दवा और कचौड़ी का दाम अपने सिर लिया था”। इतना बोल डॉक्टर ने अपना मास्क पहना और कमरे के अंदर चला गया। लड़की की आंखें खुली की खुली रह गईं।उसे अपने पिता की कहि बात की,”भगवान पर भरोसा रख ,गुज़ारा तो क्या पूरी ज़िंदगी भी चल जाएगी”, याद आ गई।वो हँसना चाहती थी पर हर बार रो जाती। वो बस खड़ी हो कर थोड़ी हस्ती हुई और थोड़ी-थोड़ी रोती हुई धीरे-धीरे ताली बजा रही थी।
—शिशिर पाठक
Amazingly beautiful. Just can’t define d depth i felt for a second. It’s all about Karma.
Wht goes around..comes around. Awesome👏
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Thanks…Our present and future lives are the result of our past and present karma.👍
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बहुत अच्छी कहानी लिखी है।सच है पुण्य कर्मो का फल कभी न कभी भगवान देते ही है।
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धन्यवाद☺
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बहुत सुदंर कहानी. This one is my favourite too.
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😃😃😃,the last part is my favourite part where she starts clapping ..,😊
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🙂
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Us clap me bhot emotions chupe hain.
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Bilkul dher sare emotions hai usme….
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